सूर्य चन्द्र युग मुकुट मेखलाकार रत्नाकर है
नदियाँ प्रेम प्रवाह , फूल तारे मंडन हैं
बंदी जन खग वृन्द , शेषफन सिंहासन है
करते अभिषेक पयोद हैं , बलिहारी इस देश की
हे मातृभूमि तू सत्य ही , सगुण मूर्ति सर्वेश की
क्षमामयी, तू दयामयी है, क्षेममयी है
सुधामयी , वात्सल्यमयी , तू प्रेममयी है
विभवशालिनी ,विश्वपालिनी , दुख्हर्त्री है
भय निवारिणी , शांतिकारनी, सुखकर्त्री है
4 comments:
simply readers' delight....true feast for avid hindi literature lovers........
Thank you :)
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