Tuesday, May 19, 2009

maithilisharan gupt: matribhoomi

नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुन्दर है 
सूर्य चन्द्र युग मुकुट मेखलाकार रत्नाकर है  
नदियाँ प्रेम प्रवाह , फूल तारे मंडन हैं 
बंदी जन खग वृन्द , शेषफन सिंहासन है  

करते अभिषेक पयोद हैं , बलिहारी इस देश की  
हे मातृभूमि तू सत्य ही , सगुण मूर्ति सर्वेश की  
क्षमामयी, तू दयामयी है, क्षेममयी है  
सुधामयी , वात्सल्यमयी , तू प्रेममयी है 
विभवशालिनी ,विश्वपालिनी , दुख्हर्त्री है  
भय निवारिणी , शांतिकारनी, सुखकर्त्री है

4 comments:

Surabhi said...

simply readers' delight....true feast for avid hindi literature lovers........

Amit Singhai said...

Thank you :)

Amit Singhai said...

Thank you :)

Amit Singhai said...

Thank you :)