Monday, May 25, 2009

solah karan pooja se

कंचन-झारी निर्मल-नीर, पूजन जिनवर गुण-गंभीर।  
महा गुरु हो जय जय नाथ परम गुरु हो।  
दरश-विशुद्धि भावना भाय सोलह तीर्थंकर-पद-पाय 
महा गुरु हो जय जय नाथ परम गुरु हो।

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