Friday, June 12, 2009

तीर्थंकर स्तुति से

वस्तु स्वभाव धर्म धारक हैं , धर्म धुरंधर नाथ महान |
ध्रुव की धुनमय धर्म प्रगट कर , वन्दित धर्मनाथ भगवान ||
राग रूप अंगारों द्वारा, दहक रहा जग का परिणाम |
किन्तु शांतिमय निज परिणति से, शोभित शांतिनाथ भगवान ||

5 comments:

अनुनाद सिंह said...

अमित,
आपका प्रयास अत्यन्त सराहनीय है। किन्तु लगता है कि इस ब्लाग के बारे में हिन्दी ब्लागरों को पता नहीं है।

क्यों नहीं आप 'नारद', 'चिट्ठाजगत' 'ब्लागवाणी' आदि हिन्दी के ब्लाग एग्रीगेतरों पर इस ब्लाग की सूचना दे दें। इससे सबको पता चल जायेगा।

आप तकनीकी क्षेत्र से हैं। आपसे निवेदन है कि हिन्दी में अपने ब्लाग पर एवं हिन्दी विकिपीडिया पर तकनीकी विषयों पर कुछ लेख भी लिखें। इससे हिन्दी और हिन्दुस्तान को लाभ होगा।

Unknown said...

Hi Amit,

Nice to see the quotes of the poojan ..keep posting these chandhs of pooja bahut saar garbhit hai

nehil

Unknown said...

Hi Amit,

Nice to see the quotes of the poojan ..keep posting these chandhs of pooja bahut saar garbhit hai

nehil

Amit Singhai said...

अनुवाद जी, नेहिल जी , बहुत बहुत धन्यवाद् में प्रयास करूँगा , की हिंदी के प्रसार सम्बन्धी तकनीकी जानकारी प्रकाशित करूँ.
वैसे मेने एक iPhone application - बनाया है , हिंदी slangs

Amit Singhai said...

अगर आप के पास WINDOWS कंप्यूटर है
तो ये डाउनलोड करिया और कलम से भी आसानी
से हिंदी में टाइप करिये
http://www.google.com/ime/transliteration/