Sunday, April 26, 2009

दिनकरजी

हम दे चुके लहू हैं , तू देवता िवभा दे | 

अपने अनलिविशख से आकाश जगमगा दे ।

प्यारे स्वदेश के िहत वरदान माँगता हूँ | 

तेरी दया िवपद् में , भगवान माँगता हूँ |

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