These stanzas have been taken from Siddha Pooja by Jugal Kishore ji
मैं महा मान से क्षत विक्षत ,हूँ खंड खंड लोकांत विभो
मेरे मिटटी के जीवन में , प्रभु अक्षत की गरिमा भर दो ,
प्रभु अक्षत की गरिमा भर दो
विज्ञान नगर के वैज्ञानिक , तेरी प्रयोगशाला विस्मय
कैवल्य कला में उमड़ पड़ा , संपूर्ण विश्व का ही वैभव
पर तुम तो उससे अति विरक्त , नित निरखा करते निज निधियां
अतएव प्रतीक प्रदीप लिए , मैं मना रहा दीपावलियाँ
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