Monday, May 6, 2013

नमस्ते नमस्ते

नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमस्ते ,नमस्ते नमस्ते।

गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते , गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते ॥ 1॥

तुम्हारे चरण मे जो लग जाये रहने , वो पा जाये मुक्ति फ़िर हँसते हँसते ।

गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते , गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते ॥2॥

तुम्हारे चरण के परस मे जो आये वो मिथ्या को तज के सम्यक को पाये ।

तुम्हीं ने तो खोले हैं आगम के दस्ते , तुम्हीं ने बताया किसे देव कहते ॥3॥

तुम्हारे चरण में मिले ज्ञान पानी । तुम्हारे चरण में कटे जिंदगानी ।

कई जन्मो से खोती आई है सुधियां। भोगों के पथ पर तरसते तरसते ॥ 4॥

चिदानंद तुम हो दयानन्द तुम हो । हमारे लिए तो श्री कुन्दकुन्द हो ।

उपदेश देकर निकाला है हम को । मोह कीच माया में फंसते फंसते ॥5॥

नहीं पार पाया किसी ने तुम्हारा । जो आया शरण में वो पाए सहारा ।

विमल सिन्धु गहरा हूँ छोटी नदी सा । मिला लो स्वयं में अहिस्ते अहिस्ते ॥6॥

लहराता उपवन है पुष्प धनी का। जीवन समर्पित है नन्ही कली का।

करता हुँ विनती हे पुष्पदंत सागर । खिला लो कली को महकते महकते ॥7॥

गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते । गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते ।

गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते । गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते ॥8॥

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