नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमस्ते, नमस्ते नमस्ते ,नमस्ते नमस्ते।
गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते , गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते ॥ 1॥
तुम्हारे चरण मे जो लग जाये रहने , वो पा जाये मुक्ति फ़िर हँसते हँसते ।
गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते , गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते ॥2॥
तुम्हारे चरण के परस मे जो आये वो मिथ्या को तज के सम्यक को पाये ।
तुम्हीं ने तो खोले हैं आगम के दस्ते , तुम्हीं ने बताया किसे देव कहते ॥3॥
तुम्हारे चरण में मिले ज्ञान पानी । तुम्हारे चरण में कटे जिंदगानी ।
कई जन्मो से खोती आई है सुधियां। भोगों के पथ पर तरसते तरसते ॥ 4॥
चिदानंद तुम हो दयानन्द तुम हो । हमारे लिए तो श्री कुन्दकुन्द हो ।
उपदेश देकर निकाला है हम को । मोह कीच माया में फंसते फंसते ॥5॥
नहीं पार पाया किसी ने तुम्हारा । जो आया शरण में वो पाए सहारा ।
विमल सिन्धु गहरा हूँ छोटी नदी सा । मिला लो स्वयं में अहिस्ते अहिस्ते ॥6॥
लहराता उपवन है पुष्प धनी का। जीवन समर्पित है नन्ही कली का।
करता हुँ विनती हे पुष्पदंत सागर । खिला लो कली को महकते महकते ॥7॥
गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते । गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते ।
गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते । गुरुदेव तुम को नमस्ते नमस्ते ॥8॥
No comments:
Post a Comment