Monday, January 11, 2010

कौशल त्रिपाठी जो कि मेरे मित्र हैं

मै चिरंतन इस जगत में
पर आज भी अकृलान्त हूं ,
कोटि कोटि कल्पों से करता
स्वयं का अनुसंधान हूं ।

निकृष्टता का वरण मैने किया है ,
श्रेष्ठता का चरम मैने छुआ है ।
तिमिर के तानूर से तारने को
तिमिरारि सा दीप्यमान हूं ॥

मै समय की रेत पर लिखा हुआ एक नाम हूं ....

Thursday, January 7, 2010

भारत को स्वर्ग बना दो

मानवता के मनन मन्दिर में
ज्ञान का दीप जला दो
करुना निधान भगवान् मेरे
भारत को स्वर्ग बना दो

नव प्रभात फिर महक उठे
मेरे भारत की फुलवारी
सब हो एक समान जगत में
कोई न रहे भिखारी
एक बार माँ वसुंधरा को
नव श्रृंगार करा दो

करुना निधान भगवान् मेरे
भारत को स्वर्ग बना दो

मानवता के मनन मन्दिर में
ज्ञान का दीप जला दो
करुना निधान भगवान् मेरे
भारत को स्वर्ग बना दो

करुना निधान भगवान् मेरे
भारत को स्वर्ग बना दो

हम करें राष्ट्र आराधन

हम करें राष्ट्र आराधन
हम करें राष्ट्र आराधन.. आराधन

तन से, मन से, धन से
तन मन धन जीवन से
हम करें राष्ट्र आराधन
हम करें राष्ट्र आराधन.. आराधन

अंतर से, मुख से, कृति से
निश्चल हो निर्मल मति से
श्रद्धा से मस्तक नत से
हम करें राष्ट्र अभिवादन

हम करें राष्ट्र आराधन.. आराधन

अपने हँसते शैशव से
अपने खिलते यौवन से
प्रौढ़ता पूर्ण जीवन से
हम करें राष्ट्र का अर्चन

हम करें राष्ट्र आराधन.. आराधन

अपने अतीत को पढ़कर
अपना इतिहास उलट कर
अपना भवितव्य समझ कर
हम करें राष्ट्र का चिंतन

हम करें राष्ट्र आराधन.. आराधन