Monday, March 23, 2009

सैरन्ध्री :: मैथिलीशरण गुप्त

A reply by Panchaali to Keechak, who was finally killed by Bheem, due to his bad character

सावधान हे वीर, न ऐसे वचन कहो तुम,
मन को रोको और संयमी बने रहो तुम।
है मेरा भी धर्म, उसे क्या खो सकती हूँ ?
अबला हूँ, मैं किन्तु न कुलटा हो सकती हूँ।
माना दीना हीना हूँ सही, किन्तु लोभ-लीना नहीं,
करके कुकर्म संसार में मुझको है जीना नहीं।

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